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बुलन्दशहर : भारत विकास परिषद द्वारा स्वरांजलि आयोजित

चोर करे रखवाली यहां पर और सिपाही सोता है
भारत विकास परिषद की काव्यसंध्या में रहीं राष्ट्रभक्ति गीतों की धूम
डिबाई। राष्ट्र के 77वे स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर भारत विकास परिषद की डिबाई शाखा द्वारा ‘स्वरांजलि’ शीर्षक से काव्यसंध्या का आयोजन अजय लोधी सभागार में किया गया। इस गंगो- जमुनी काव्य संध्या में स्थानीय और अन्य नगरों से पधारे डेढ़ दर्जन से अधिक कवि, कवियत्री और शायरों ने अपनी देशभक्ति पूर्ण रचनाओं से मध्य रात्रि तक उपस्थित जनसमुदाय को बांधे रखा। काव्य संध्या की अध्यक्षता एटा से पधारे कवि डॉ ओमऋषि भारद्वाज और संचालन स्थानीय कवि पी पी सिंह ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में श्रीराम महाविद्यालय डिबाई के प्राचार्य डॉ राजीव चतुर्वेदी उपस्थित रहे। भारत माता के सम्मुख अतिथि कवियों द्वारा दीप प्रज्वलन के उपरांत भारत विकास परिषद अध्यक्ष गिरीश कुमार गुप्ता, सचिव इं. सोमवीर सिंह लोधी और कोषाध्यक्ष विजय कुमार राय ने उपस्थित कवि और शायरों का फूलमाला और तिरंगी पटिकाओं से अभिनंदन किया। डॉ ज्ञानेंद्र महेश्वरी की सरस्वती वंदना और मिथलेश लोधी के प्रेरक गीत से आरंभ काव्यसंध्या में हिंदी और उर्दू के गीत, ग़ज़ल, कविता व छंद-वंद का मिलाजुला संगम देखने को मिला। अलीगढ़ से पधारे गीतकार रईस गौहर ने अपने गीत के माध्यम से सरकार की नीतियों पर कुछ इस प्रकार प्रहार किया कि-
मिट्ठू मेरे बोल अपने देश में क्या-क्या होता है। चोर करे रखवाली यहां पर और सिपाही सोता है। अपने चुटीले व्यंगों के लिए मशहूर कवि वेद जैसवाल राज ने बढ़ती महंगाई पर कुछ इस प्रकार लेखनी को धार दी कि- अब की बार 500 बार। बात टमाटर की सरकार। ओज के शायर वजीरअली दर्द ने दुश्मन को ललकारते हुए कहा कि- हिंदी-हिंदुस्तान है हम। भारत की पहचान है हम। नफरत के रावण सुन ले, तेरे लिए हनुमान हैं हम। तरन्नुम के शायर निजामुद्दीन निजामी ने अपना दर्द कुछ इस प्रकार बयां किया कि- रो-रो कर कहता है निजामी अपनी बात कहनी में। मंहगाई ने बुड्ढा कर दिया हमको भरी जवानी में।
अन्य उपस्थित कवियों में अब्दुल रऊफ हमदम, मनोज कुमार पालीवाल, महेशचंद शर्मा तलव, डॉ अभिषेक महेश्वरी की उपस्थिति दर्ज की गई। कार्यक्रम को सफल बनाने में भुवनेश मथुरिया, अनिल कुमार सिंह, कैलाश पवार प्रधानाचार्य, नौरंगीलाल, अरविंद भंडारी, बबली राज, संतोष शर्मा, आदिति राज और अनुभव गुप्ता का सराहनीय योगदान रहा।

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