Uniform Civil Code : एक समान नागरिक संहिता (यूसीसी) एक प्रस्तावित कानूनी ढांचा है जिसका उद्देश्य धार्मिक रीति–रिवाजों पर आधारित व्यक्तिगतकानूनों को एक सामान्य विधि के साथ बदलना है, जो सभी देश के नागरिकों के लिए सभी नागरिक परिसंबंधों पर निर्धारित होगी, उनकेधर्म संबंधित विश्वासों के अपेक्षा नहीं। एक यूसीसी का उद्देश्य समानता और न्याय सुनिश्चित करना है जो किसी व्यक्ति के धर्म यासमुदाय पर निर्भर नहीं करेगी।
विभिन्न धर्म और सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले देशों में, जैसे भारत, एक समान नागरिक संहिता की धारणा कई वर्षों से विवाद का विषयरही है। भारत में, विवाह, तलाक, विरासत और पालन–पोषण जैसे व्यक्तिगत कानूनों को हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई और अन्य धार्मिकसमुदायों के लिए अलग–अलग धार्मिक कानूनों द्वारा व्यवस्थित किया जाता है। इससे असमानता और भेदभाव की स्थिति उत्पन्न होतीहै।
आइए अब हिंदी में एक मजेदार ढंग से समझाते हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) क्या होता है:
एक दिन एक छोटे से गांव में रहने वाले राजू ने सोचा, “हम इतने अलग–अलग क्यों हैं? हमारे यहां अलग–अलग नियम, नियमितताएं औरकानून हैं, जो धर्म और संप्रदाय के आधार पर अलग होते हैं। क्या नहीं हमें सबके लिए एक सामान नियम होना चाहिए जो सबकेअधिकार और वैकल्पिकता को समान ढंग से संरक्षित करे?”
राजू ने अपने दोस्त संतोष से इस बारे में बात की, और संतोष ने बताया कि यह कानूनी प्रणाली को “यूनिफॉर्म सिविल कोड” कहा जाताहै। यह सिविल कानूनों की एकमात्र साझा संहिता होती है, जो हमारे देश के सभी नागरिकों के लिए समान रूप से लागू होती है। धर्मऔर समुदाय की पहचान पर निर्भर नहीं होती है।
यूसीसी के समर्थक यह दावा करते हैं कि यह जनसाधारण के बीच समानता, न्याय और धर्मनिरपेक्षता को सुनिश्चित करती है। वे मानतेहैं कि एक सामान संहिता सभी नागरिकों को योग्यता और अवसरों के मामले में समान अधिकार और सुविधाएं प्रदान करेगी, चाहे वेकिसी धर्म समुदाय से संबंधित हों या न हों।
एक समान नागरिक संहिता के प्रभावी लागू होने के लिए विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत परामर्श और चर्चाओं की आवश्यकता होतीहै। धार्मिक आधारित नियमों की गहरी जड़ों वाले देशों में, एक समान नागरिक संहिता के प्रस्तावना में संविधानिक सिद्धांतों, धार्मिकसंवेदनशीलता और समाजिक चिंताओं का सावधानीपूर्वक मध्यस्थता करने की आवश्यकता होती है।
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