गर्मी हाय ये गर्मी चलो कहीं चलते हैं यार घूमने एक ऐसी जगह जहां शांति हो ठंडी सी हवा हो और ऊंचे ऊंचे पहाड़ हों क्यों ऐसा ही कहते हैं न हम सभी गर्मियों के दिन में ? शायद कुछ लोग मेरी बात मानने से इंकार भी कर दें लेकिन अक्सर चार दोस्तों में बैठकर गर्मियों के दिन में यह बात होना आम बात है और फिर एक यात्रा का निर्णय होता है,उत्तराखंड या हिमाचल जाने का लेकिन हिमाचल में क्या है? कुछ भी तो नही तो चलो चलते हैं उत्तराखंड जहां केदारनाथ हैं,तुंगनाथ हैं,गंगोत्री धाम है,यमुनोत्री धाम है ,लेकिन यार ये सब तो दर्शन करने के स्थान हैं यहां घूमने जाने का क्या महत्व है?अरे छोड़ो क्या दर्शन वर्शन लगा रखा है,घूमने की जगह है,घूमकर आयेंगे कैमरा,लाइट,सब रख लो क्योंकि इतनी मस्त जगह है तो फोटो और रील्स न बनें तो क्या ही मजा आयेगा,चलो अब चलते हैं, केदारनाथ और बाकी चारों धाम,वाह क्या सुंदर सुंदर नजारे हैं, अदभुत जगह है. ये ऊंची ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं ये जगह जगह चलने वाले झरने लेकिन ये क्या इतनी ऊंची पर्वत श्रृंखलाओं पर इतनी सारी कार वो भी जाम में फंसी हुई,इतनी भीड़ आखिर किस लिए शायद केदारनाथ घूमने के लिए आए हैं,चलो हम भी तो घूमने आए हैं,आगे से आवाज आती है गाड़ियां पीछे करो भूस्खलन हो रहा है, पहाड़ खिसक रहे हैं धीरे धीरे हाहाकार मचने लगता है ऐसे तैसे स्थिति सुधरती हैं और फिर आगे बढ़ते हैं तो जैसे ही केदारनाथ पहुंचते हैं तो देखते हैं ये क्या यहां तो इतनी भीड़ है की कोने से निकल भी नही सकते,ये इतना शोर शराबा ढोल तमाशों का,हर किसी के हाथ में मोबाइल रील्स बनाने के लिए ,नाचते गाते लोग,नारे लगाते लोग आखिर क्या देखने को मिल रहा है?यहां तो केवल हम ही कैमरा और लाइट लाए थे ,यहां तो सभी लोग रील्स बनाने वीडियो बनाने में लगे हुए हैं,शोर से ऐसा लग रहा है मानो शिवालिक श्रेणी के ये पहाड़ कहीं खिसक न जाएं,कहीं कोई अनहोनी न हो जाए ऊपर से इस हेलीकॉप्टर की आवाज जो कभी भी कैसी भी दुर्घटना को अंजाम दे सकती है,शिवालिक श्रेणी के पहाड़ वैसे भी कमजोर होते हैं यहां ज्यादा शोर शराबा उचित नहीं इसके लिए अलग जगह है हरिद्वार है ,ऋषिकेश है और भी अन्य स्थल हैं जहां ये आसानी से किया जा सकता है फिर इस शांतिप्रिय जगह क्यों ? क्या हम लोग रील्स बनाने,वीडियो बनाने के लिए उन स्थानों को भूल चुके हैं जहां बड़े बड़े ऋषि मुनि तप करने के लिए केदारनाथ जैसी ऊंची पहाड़ियां चुनते थे केवल इसलिए की वहां अदभुत शांति और भगवान शिव की जगह है,लेकिन आज के बदलते स्वरूप ने हमारी आस्था के केंद्र चारों धामों को ऐसा बदला की वहां लोग शांति की जगह अशांति फैला रहे हैं ,और इतना शोर शराबा कर रहे हैं ,की कभी भी केदारनाथ पर दूसरी बड़ी घटना 2012 की प्रलय के बाद हो सकती है लेकिन प्रशासन और शासन के मुख में दही इसलिए जमा हुआ है की पर्यटकों से कमाई हो रही हैं,लेकिन क्या आपको लगता है जो जगह शांति,भक्ति,प्रकृति की सुंदरता का अद्भुत मिशाल थी वो अब वैसी नहीं रही यदि हां तो इसका दोषी कौन है ?
नोट : बढ़ती भीड़ और धार्मिक यात्राओं को मजाक बनाना, रील्स,वीडियो,फोटो के चक्कर में उस जगह की सच्चाई को न भांपना बहुत बड़ी कमी है, अतः आप जब भी किसी धार्मिक यात्रा पर जाएं तो पूर्ण मन से और शांति को मन में लेकर कुछ सीखने के लिए जाएं,केदारनाथ से लेकर बद्रीनाथ वो जगह हैं जहां शिवालिक पर्वतों की श्रृंखला है जो ज्यादा भीड़ और आवाज को सहन नही कर सकती कभी भी पहाड़ खिसक सकता है,जो की जनमानस को बहुत नुकसान दे सकता है इसलिए यात्रा करें लेकिन यात्रा के रूप में
हर हर महादेव ,ओम नमः शिवाय














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